‘बंजारा’ अनजानी सी इन राहों में, घूम रहा हूँ मैं आवारा.... मत पूछो तुम ठोर-ठिकाना , मेरा क्या मैं हूँ बंजारा …!! हर नगरी में, हर बस्ती में, अपनी मर्ज़ी से आता हूँ... जो रस्ता ये मन दिखलाए, उस रस्ते पर ही जाता हूँ… अपनी ही धुन में गाता हूँ, ले कर सांसों का इक-तारा… मेरा क्या मैं हूँ बंजारा …!! देश- धर्म के नाम पे इनको, मैने सब कुछ करते देखा……. जिंदा रहने की कोशिश में उनको भी है मरते देखा…..... चलते-चलते इस जीवन में, जैसे -तैसे वक़्त गुज़ारा ..... मेरा क्या मैं हूँ बंजारा …!! इस धरती पे हर इक निर्धन, हर धनवान से वाकिफ हूँ मैं.... इंसानों की इस दुनिया में, हर भगवान् से वाकिफ हूँ मैं .… अम्बर भी है मेरा रस्ता , वाकिफ़ है ये तारा - तारा ..... मेरा क्या मैं हूँ बंजारा …!! किसी किसी के आंगन में ही, देखा है खुशिओं का डेरा..… बाकी घर -घर में है मातम, हर चेहरे को दुःख ने घेरा… देख के उन के बहते आंसू, रोता है क्यों दिल बेचारा ..... मेरा क्या मैं हूँ बंजारा …!! अपना सब कुछ बाँट चुका हूँ, अब खाली है मेरा दामन.. .. मुड के पीछे में न देखूं, छोड़ दिया जब कोई आँगन... रोज़ नए इक रस्ते पर मैं, चुनता जाऊं हर अंगारा ..… मेरा क्या मैं हूँ बंजारा …!! जाते - जाते तेरे दर से, अपना ये मन हुआ पराया.. .. पीछे - पीछे है मन मेरा आगे - आगे मेरा साया... … आज इधर से गुज़रा हूँ तो, शायद न आऊं दोबारा…….. मेरा क्या मैं हूँ बंजारा …!! ~~आशु तोष ..... कितनी यादें पुरानी चली आती हैं रात होते ही जब नीले आकाश में, दूर तक चांदनी सी छिटक जाती है... बीते लम्हों का जादू जगाते हुए, पंछिओं की कतारें गुज़र जाती हैं … कितनी यादें पुरानी चली आती हैं .. बारिशों की हों चाहे वो सरगोशियाँ, या हों वीरान राहों की खामोशियाँ…. या घने जंगलों की हसीं राहतें, दूर मुझ से बहुत मुझ को ले जाती हैं…. कितनी यादें पुरानी चली आती हैं …. ख्वाब ऐसे भी दिल में चले आते हैं , सारे एहसास जब यूं चटक जाते हैं …. जैसे सूखे से तालाब की सतह पर, आरडी तिरछी दरारें उभर आती हैं ……… कितनी यादें पुरानी चली आती हैं ... दूर मुझ से खडी अजनबी अजनबी, रूठी रूठी ज़रा जिस घडी ज़िन्दगी.... जब भी तन्हाई का पूछती है सबब, तन में साँसों से सांसें उलझ जाती हैं …. कितनी यादें पुरानी चली आती हैं ..... चलते चलते अचानक किसी मोड़ पर, याद में हमसफ़र वो जो आए अगर … मंजिलें भी नज़र से भटक जाती हैं, धुंध में मेरी राहें उतर जाती हैं……… कितनी यादें पुरानी चली आती हैं …!! ~~आशु तोष !! ................................................................ |
Monday, June 13, 2011
My Poetry
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